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इंट्रेस्ट के अनुसार चुनें अपने करियर को



युवाओं को जिस सब्जेक्ट में इंट्रेस्ट हो, उसी की पढाई करनी चाहिए। इंट्रेस्ट का पता स्कूल में पढाई के दौरान लग जाता है। पैरेंट्स को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों के करियर के चयन में उनके भीतर छिपे टैलेंट और उनके इंट्रेस्ट का ध्यान रखें। जिस प्रकार अर्जुन ने लक्ष्य के रूप में मछली की आंख पर ध्यान लगाया था, उसी प्रकार युवाओं में भी करियर लक्ष्य के प्रति ध्यान होना चाहिए। 
क्लास में स्टडी के फायदे
कई स्टूडेंट क्लास की बजाय घर में ही पढाई करना चाहते हैं। क्लास में सहयोगियों के साथ पढने से मेल-मिलाप बढता है। सामाजिक गुणों का विकास होता है। अपनी कमियों और खूबियों का पता चलता है। 70 के दशक में जब मैं स्टूडेंट था, तो फ्रेंड्स के साथ बैठने पर अपनी कमजोरियों का अहसास होता था और फिर कमियों को दूर करने की कोशिश करता था। इंटरव्यू आदि की तैयारी भी हम ग्रुप बनाकर करते थे। इस तरह काफी तैयारी हो जाती थी और कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ जाता था।

रिलैक्स रहें, टेंशन से बचें
पढाई पर ध्यान देना तो अच्छी बात है, लेकिन मानसिक रूप से रिलैक्स रहना भी बहुत जरूरी है। 24 घंटे पढाई की टेंशन में रहने से समस्या का हल नहीं होगा। ज्यादा टेंशन लेने से प्रॉब्लम और बढेगी। बेहतर होगा कि रिलैक्स रहें और टाइमटेबल बनाकर धीरे-धीरे स्टडी शुरू करें। थोडा-बहुत पिकअप करने पर कॉन्फिडेंस आ जाएगा। इसके अलावा पढाई के साथ खेलकूद और दूसरी एक्टिविटीज पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

चुनौतियों का मुकाबला
अगर जीवन में आगे बढना है, तो कठिन परिश्रम से भागें नहीं। कई स्टूडेंट प्रतिकूल परिस्थिति में बहुत जल्द घबरा जाते हैं। ऐसे में घबराएं बिना चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने की आदत डालें। इस बात को हमेशा याद रखें कि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता।

पॉजिटिव अप्रोच
यदि आपकी सोच सकारात्मक हो, तो किसी भी लक्ष्य को पाना असंभव नहीं है। वस्तुत: मानव जीवन में वर्क एवं नॉलेज से कहीं ज्यादा प्रभाव नजरिए का होता है। सकारात्मक सोच वाले युवा न केवल अपने लिए, बल्कि औरों के लिए भी सफलता की राह आसान कर सकते हैं।

अपडेट रहें
कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता, इसलिए युवाओं को चाहिए कि निरंतर अपडेट रहें। काम को सुगम तरीके से करने के लिए नए विकल्प एवं तकनीक ढूंढने का प्रयास लगातार करते रहना चाहिए।

जिम्मेदारी समझें
लाइफ में आगे बढने के लिए रिस्पॉन्सिबल होना जरूरी है। जब तक खुद जिम्मेदार नहीं बनेंगे, तो दूसरों से कैसे उम्मीद कर सकेंगे? आपकी जो जिम्मेदारी है, उसे खुद उठाएं, दूसरों पर मत डालें।
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