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एकाग्रता का कैसे विकास करें ? - How to develop concentration?



जब हम अपनी पसंद की फिल्म देखने जाते हैं।  तब हम तीन घंटे उसी में आँख लगाए बैठे रहते है।  हम शायद ही जानते है कि या फिर जानने की कोशिश करते है कि हमारे पास में कौन बैठा है, कब उठकर चला गया है।  उसी तरह क्रिकेट मैच के दौरान खाना-पीना, सब कुछ छोड़कर ध्यान पूर्वक देखते रहते है और अपने आपको पूरी तरह से उसी में लगा देते है।  लेकिन यदि हम पढ़ाई कर रहे है, तो ध्यान हटने में ज्यादा समय नही  लगता।  अगर घर में संगीत बज रहा हो तो जैसे पढ़ाई से ध्यान हटाने का बहाना मिल गया हो और हमारा ध्यान तुरंत पढ़ाई से हट जाता है।

एकाग्रता का अर्थ है विषय में रूचि होना :-
     
किसी विषय को भली-भांति सीखना या समझना इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितने मात्रा में अपना ध्यान उस विषय में concentrate करते है और एकाग्रता इस बात पर निर्भर करती है कि हम उस विषय में कितनी रूचि ले रहे है।

इसे समझने के लिए हमें 'रुचि' को अच्छे ढंग से समझना होगा।  कल्पना कीजिए कि आपको पिछले सप्ताह हुई पार्टी के फ़ोटो दिए जाते है जिसमें आप भी शामिल है।

आप उन फ़ोटो में क्या देखेंगे ?
जाहिर है, उन फ़ोटो में आप अपनी फोटो देखने की कोशिश करेंगे।  ज्यादातर समय हमारी रूचि अपने आपको देखने में रहती है।  इसका मतलब जिस विषय में हम ज्यादा रूचि लेते है, उसमे एकाग्रता का पैमान भी अधिक होता है। हम उस विषय को जल्दी सीख़ लेते है जिस विषय में अपने आपको शामिल कर लेते है।

एक उदाहरण देखिए :-
एक स्मृति टेस्ट के दौरान,टीचर ७ वी कक्षा के विद्यार्थियों के दो समूहों (section) को प्राचीन मानव के विकास के बारे में पढ़ाया।
1 )  पहले section को कहानी इस प्रकार बताई-प्राचीन मानव गुफ़ा में रहा करता था।  उन्होंने दो पत्थरों को आपस में रगड़कर आग की ख़ोज की और वे पेड़ के पत्तो, जानवरों की खाल पहना करते थे।
2 )  teacher ने दूसरे section के विद्यार्थियो से अपने आपको आदि मानव सोचने के लिए कहा गया और उन्हें बताया -
" आप गुफ़ा में रहा करते थे।  आपने पत्थरों को रगड़कर आग की ख़ोज की।  आप शरीर में पत्तियां और जानवरों की खाल पहनते थे।"

सीख :-
दूसरे section के विद्यार्थियों ने पाठ जल्दी सीखा।  एक साल बाद वैसे ही ठीक उसी ढंग से कहानी को दोहरा (repeat) कर सके। 
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